नीम एक चमत्कारी वृक्ष माना जाता है। भारत में एक कहावत प्रचलित है कि जिस धरती पर नीम के पेड़ होते हैं वहां मृत्यु और बीमारी कैसे हो सकती है। स्वाद में कड़वा नीम अपने औषधीय गुणों के कारण बहुत ही मीठा माना जाता है। नीम हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है। यह रोगों के निदान में तो प्रयोग होता ही है, सौंदर्य प्रसाधनों का भी यह महत्वपूर्ण हिस्सा है। नीम के पेड़ के विभिन् हिस्से जैसे पत्ते, छाल, फल, तेल आदि हमारे जीवन को रोगमुक् बनाने में सहायक होते हैं। नीम में इतने गुण है कि यह कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है। नीम में डायबिटिज, बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने के गुण पाए जाते हैं। नीम के तने, जड़, छाल और कच्चे फलों में शक्ति-वर्धक और रोगों से लड़ने का गुण भी पाये जाते हैं। इसकी छाल खासतौर पर मलेरिया और त्वचा संबंधी रोगों में बहुत उपयोगी होती है। इसके पत्तों में मौजूद बैक्टीरिया से लड़ने वाले गुण मुंहासे, छाले, खाज-खुजली, एक्जिमा वगैरह को दूर करने में मदद 
करते हैं।


जलने और फोड़े फुंसियों के लिए नीम
जले हुए स्थान पर नीम का तेल या पत्तों को पीस कर लगाने से आराम मिलता है। नीम की पत्तियों और तेल में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। इसलिए कटे हुए स्थान पर नीम का तेल लगाने से टिटनेस का भय नहीं रहता। इसके अलावा यदि आप फोड़े और फुंसियों की समस्या से बचना चाहते है तो नीम के पत्ते, छाल और फलों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें, अब इस पेस्ट को त्वचा पर लगाएं। इससे फोड़ेफुसियां तथा घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं। नीम की पत्तियों को पानी में उबाल कर तथा ठंडा करके उस पानी से मुंह धोने से मुहांसे दूर होते हैं।

कान और दांतों के रोग के लिए नीम
कान में नीम का तेल डालने से कान दर्द या बहने की समस्या ठीक हो जाती है। नीम का तेल तेज गर्म करके जला लें इसे थोड़ा ठंडा करके कान में कुछ दिन तक नियमित रूप से डालने से बहरापन में भी आराम मिलने की बात कही जाती है। इसके अलावा नींद दांतों के लिए भी लाभकारी होता है। नीम का दातुन नियमित रूप से करने से दांतों में पाये जाने वाले कीटाणु नष् हो जाते हैं। इससे मसूडे मजबूत दांत चमकीले और निरोग होते हैं। मसूड़ों से खून आने और पायरिया होने पर नीम के छाल और पत्तों को मिलाकर इस पानी से कुल्ला करने से लाभ होता है।

पीलिया में नीम
पीलिया में नीम का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। पित्ताशय से आंत में पहुंचने वाले पित्त में रुकावट आने से पीलिया होता है। ऐसे में रोगी को नीम के पत्तों के रस में सोंठ का चूर्ण मिलाकर देना चाहिए। या फिर सिर्फ दो भाग नीम की पत्तियों का रस या छाल का क्वाथ और एक भाग शहद मिला कर पीने से पीलिया रोग में काफी फायदा होता है।

पथरी में लाभदायक
पथरी की समस्या से बचने के लिए लगभग 150 ग्राम नीम की पत्तियों को 1 लीटर पानी में पीसकर उबाल लें। इस पानी को सामान् होने पर पी लें। नियमित रूप से ऐसा करने से पथरी निकल सकती है। पथरी यदि किडनी में है तो प्रतिदिन नीम के पत्तों की लगभग 2 ग्राम राख पानी के साथ लें। लाभ होगा।
पेट संबंधी समस्याओं में नीम
पेट संबंधी अनेक समस्याओं से निजात पाने में नीम बहुत सहायक होता है। पेट के कीड़ों को नष्ट करने के लिए नीम के पत्तों के रस में शहद और काली मिर्च मिलाकर सेवन करें। नीम के फूलों को मसलकर गर्म पानी में डालकर छानकर पी लें इससे कब्ज दूर होती है। नीम की पत्तियों को सुखाकर शक्कर मिलाकर खाने से दस्त में आराम मिलता है।